इस मंदिर में गिलहरी के स्वरुप में होती है हनुमान जी की पूजा

इस मंदिर में गिलहरी के स्वरुप में होती है हनुमान जी की पूजा



आज हम हनुमान जी के अद्भुत और चमत्कारी मंदिरो की श्रृंखला में एक और मंदिर ले कर आये है। पिछले अंक में हमने पसीने वाले हनुमान जी का मंदिर के बारे में बताया था।

आज हम जिस मंदिर की बात कर रहे है वहाँ की विषेशता है कि यह दुनियाँ का एकमात्र मंदिर है जहाँ हनुमान जी को गिलहरी के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर अलीगढ के अचल सरोवर के किनारे पर बना हुआ है। हनुमान जी के इस मंदिर का नाम है श्री गिलहराज महाराज मंदिर।

इस मंदिर के आसपास करीब 50 से ज्यादा मंदिर हैं लेकिन गिलहराज जी मंदिर की मान्यताएं सबसे ज्यादा है। बताया जाता है कि श्री गिलहराज जी महाराज के इस प्रतीक की खोज सबसे पहले पवित्र धनुर्धर ‘श्री महेंद्रनाथ योगी जी महाराज’ ने की थी जो एक सिद्ध संत थे। 

इस मंदिर का निर्माण नाथ संप्रदाय के एक महंत ने करवाया था बताया जाता है कि हनुमान जी ने सपने में उन्हें दर्शन दिए और कहा कि मैं अचल ताल पर निवास करता हूं वहां मेरी पूजा करो। जब उस महंत ने अपने शिष्य को खोज करने के लिए वहां भेजा तो उन्हें वहां मिट्टी के ढेर पर बहुत गिलहरियां मिलीं उन्हें हटाकर जब उन्होंने उस जगह को खोदा तो वहां से मूर्ति निकली। यह मूर्ति गिलहरी के रूप में हनुमान जी की थी। जब महंत जी को इस बारे में बताया गया तो वह अचल ताल पर आ गए। 

इस मंदिर की प्राचीनता का अनुमान इससे लगाया जाता है कि महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण के भाई दाऊ जी ने यहां अचल ताल पर पूजा की थी। 

इस मंदिर में मौजूद हनुमान जी का गिलहरी स्वरुप उस वक्त की याद दिलाता है जब वानरों के जरिए रामसेतु को बनाया जा रहा था। जब बजरंगबली पत्थरों से ब्रिज बना रहे थे तभी श्री राम ने कहा कि जब हनुमान ही खुद ब्रिज बना देंगे तो अन्य देवता जो वानर रूप में मौजूद थे वह इस सेवा से वंचित रह जाएंगे। किन्तु राम कार्य में हनुमान जी आराम नहीं कर सकते थे इसलिए वे गिलहरी का रूप रखकर आये और बालू पर लोट लगाकर बालू के कण छोड़ने का काम कराते रहे। किन्तु प्रभु राम ने उन्हें पहचान लिया और उनके गिलहरी स्वरुप को प्रेम से अपने हाथ पर बैठकर दुलार किया। बता दें कि आज भी श्री गिलहरी महाराज के शरीर पर जो 3 लकीरें है वह श्री राम की उगलियों के निशान के रूप में नजर आती हैं।

यहां दर्शन करने से ग्रहों के प्रकोप से मुक्ति मिलती है, खासतौर पर शनि ग्रह के प्रकोप से। गिलहराज जी के प्रसिद्ध मंदिर को ग्रहराज मंदिर भी कहते हैं। अन्य मंदिरों की बात करें तो मान्यता के अनुसार हनुमान जी को एक से अधिक चोला एक दिन में नहीं चढ़ाते,लेकिन यहां दिनभर में बजरंगबली को 50-60 कपड़े के चोले रोज़ चढ़ते हैं।

एक ऐसा मंदिर जहाँ नारी स्वरूप में दर्शन देते है हनुमान जी

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