हनुमान जी ने सूरज को निगल लिया

हनुमान जी ने सूरज को निगल लिया


हनुमान जी की जन्म कथा में हमने आप को बताया था कि किस प्रकार हनुमान जी का जन्म हुआ। आज हम उससे आगे के कथा का वर्णन करते है। 

हनुमान जी के जन्म के पश्‍चात् एक दिन माता अंजना हनुमान जी आश्रम में सोता हुआ छोड़कर किसी कार्यवश बाहर चली गईं। जब बाल हनुमान अपनी नींद से जागे तो उनको बहुत भूख लगी। उन्होंने सूर्य को देखा तो उन्हें लगा यह कोई लाल फल है बस फिर क्या था बजरंगबली ने इस फल को खाने की ठान ली और उड़ पड़े सूर्य को खाने। अगले ही पल हनुमानजी ने सूर्य को मुँह में ले लिया उधर भगवान सूर्य ने उन्हें अबोध शिशु समझकर अपने तेज से नहीं जलने दिया। 

बाल समय रवि भक्ष लियो तब तीनो लोक भयो अंध्यारो 

जिस समय हनुमान जी सूर्य को पकड़ने के लिये लपके, उस समय राहु सूर्य को ग्रसने के लिए आ रहा था। राहु ने जब यह नजारा देखा तो डर कर अपनी जान बचाकर भाग निकला और देवराज इंद्र की शरण में चला गया। वहा पहुंच कर भयभीत राहु ने इन्द्र देव से कहा- भगवन! आज आपने यह कौन-सा दूसरा राहु सूर्य को ग्रसने के लिए भेज दिया है? यदि मैं भागा न होता तो वह मुझे भी खा गया होता। 

राहु की बातें सुनकर भगवान इन्द्र को बड़ा आश्चर्य हुआ। वह अपने सफेद ऐरावत हाथी पर सवार होकर हाथ में वज्र लेकर बाहर निकले। उन्होंने देखा कि एक वानर बालक सूर्य को मुंह में दबाये आकाश में खेल रहा है। हनुमान ने भी सफेद ऐरावत पर सवार इन्द्र को देखा। 

इंद्र को देख कर हनुमान जी इंद्र की ओर झपट पड़े। यह देखकर देवराज इन्द्र बहुत ही क्रोधित हो उठे। अपनी ओर झपटते हुए हनुमान से अपने को बचाया तथा सूर्य को छुड़ाने के लिए हनुमान की ठुड्डी पर वज्र का तेज प्रहार किया। वज्र के उस प्रहार से हनुमान का मुंह खुल गया और उनकी बायीं ठुड्डी टूट गई, वह बेहोश होकर पृथ्वी पर गिर पड़े।

हनुमान की यह दशा देखकर वायुदेव को बड़ा क्रोध आया। उन्होंने उसी क्षण पवन की गति रोक ली। इससे कोई भी प्राणी साँस न ले सका और सब पीड़ा से तड़पने लगे। तब सारे सुर, असुर, यक्ष, किन्नर आदि ब्रह्मा जी की शरण में गये। ब्रह्मा उन सबको लेकर वायुदेव के पास गये। वे मृत हनुमान को गोद में लिये उदास बैठे थे। जब ब्रह्मा जी ने उन्हें जीवित कर दिया तो वायुदेव ने अपनी गति का संचार करके सब प्राणियों की पीड़ा दूर की। चूँकि इन्द्र के वज्र से हनुमान जी की हनु (ठुड्डी) टूट गई थी, इसलिये तब से उनका नाम हनुमान हो गया। सभी देवी देवताओ ने हनुमान जी अपने आशीवार्द के साथ साथ अपनी शक्तियाँ भी प्रदान की। 

आगे पढ़े: किस देवी देवता ने क्या क्या शक्तियाँ प्रदान की ओर इन शक्तियों का क्या परिणाम हुआ। 

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