श्रीराम जन्मभूमि समतलीकरण के दौरान मिले कसौटी के स्तंभों का रहस्य

श्रीराम जन्मभूमि समतलीकरण के दौरान मिले कसौटी के स्तंभों का रहस्य

कसौटी के स्तंभ

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के स्थान पर समतलीकरण का कार्य चल रहा है। इस दौरान वहां बड़ी संख्या में प्राचीन मंदिर के अवशेष मिले है। अभी ये पता लगाया जा रहा है कि ये अवशेष विक्रमादित्य युगीन मंदिर के ही हैं या बाद में बने किसी मंदिर के। क्योंकि इस पूरे 67.77 एकड़ के परिसर में राम मंदिर के अलावा कई अन्य देवी-देवताओं के प्राचीन-पौराणिक मंदिर सहित उन आधा दर्जन मंदिरों के अवशेष भी समाहित हैं।  

इन अवशेष में मिले सात ब्लैक टच स्टोन को कसौटी के स्तंभ से जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि विक्रमादित्य ने 2000 वर्ष पूर्व जिस मंदिर का निर्माण कराया था, वह कसौटी के ऐसे ही स्तंभों पर टिका था। 

आइये आप को बताते है इन कसौटी के स्तंभों का रहस्य क्या है। 

विश्वकर्मा ने किया था इन स्तंभों का निर्माण
लोमश रामायण के अनुसार, इन स्तंभों का निर्माण भगवान राम के पूर्वज महाराज अनरण्य ने देवशिल्पी विश्वकर्मा से कराया था और यह स्तंभ उनकी राजसभा में लगाया गया था। लंकापति रावण के आक्रमण के दौरान महाराज अनरण्य वीरगति को प्राप्त हुए और रावण कसौटी के 84 स्तंभों को उखाड़कर लंका ले गया। रावण लंका में इन स्तंभों का उपयोग उस सोने को परखने में करता था, जिससे उसने स्वर्णमयी लंका का निर्माण कराया। लंका विजय के बाद भगवान राम ने हनुमान जी से कहा, सीता का बदला तो रावण वध से पूर्ण हो गया पर अनरण्य दादा का बदला कैसे पूरा होगा।

 ..तब हनुमान जी लंका की राजसभा में लगे सभी कसौटी के स्तंभों को वापस अयोध्या ले आए और उन्हें अयोध्या के राज दरबार में स्थापित कराया। इन स्तंभों पर भगवान राम ने अपनी प्रशस्ति उत्कीर्ण कराने के साथ विजय और सफल प्रतिशोध के अभियान का नेतृत्व करने वाले हनुमान जी की मूर्ति भी उत्कीर्ण कराई, जिसे आज भी इन स्तंभों पर देखा जा सकता है।



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