अष्ट सिद्धियों और नव निधियों का रहस्य-2

अष्ट सिद्धियों और नव निधियों का रहस्य-2

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता

जब हम हनुमान चालीसा पढ़ते है तो उसमे एक चौपाई आती है।

"अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता"

इसका अर्थ ये है कि महावीर हनुमान आठ तरह की सिद्धियों और नौ तरह की निधियों के दाता है। आज हम आपको महाबली हनुमान की निधिओ के बारे में बात करेंगे।

अष्ट सिद्धियों के बारे में जानने के लिए लिए इस लेख को पढ़े।

  1. परकाया प्रवेश: किसी अन्य व्यक्ति के शरीर में अपनी आत्मा का प्रवेश करवाना परकाया प्रवेश कहलाता है। आप अपनी आत्मा को किसी मृत शरीर में प्रवेश करवाकर उसे पुन: जीवित भी कर सकते हैं।

  2. हांड़ी विद्या: कई प्राचीन ग्रंथों में हांड़ी विद्या का जिक्र किया गया है। इस विद्या को प्राप्त करने के बाद व्यक्ति को ना तो भूख लगती है और ना ही प्यास। वह अपनी इच्छानुसार बिना किसी परेशानी के कई दिनों तक बिना कुछ खाए-पीए रह सकता है।

  3. कांडी विद्या: कांडी विद्या की प्राप्ति के बाद व्यक्ति के शरीर और उसके मस्तिष्क पर बदलते मौसम का कोई प्रभाव नहीं होता। उसे ना तो ठंड लगती है ना गर्मी, ना बारिश का कोई असर होता है ना तूफान कुछ बिगाड़ पाता है।

  4. वायु गमन सिद्धि: वायु गमन सिद्धि हासिल करने के बाद व्यक्ति हवा में तैर सकता है और कुछ ही पलों में किसी भी स्थान पर पहुंच सकता है।

  5. मदलसा सिद्धि: मदलसा सिद्धि प्राप्त करने के बाद व्यक्ति अपने शरीर के आकार को अपनी इच्छानुसार कम या ज्यादा कर सकता है। लंका में प्रवेश करने के लिए पवनपुत्र हनुमान ने अपने शरीर को सूक्ष्म कर लिया था।

  6. कनकधारा सिद्धि: इस सिद्धि को प्राप्त करने वाला व्यक्ति असीमित धन का स्वामी बन जाता है, उसकी धन-संपदा का कोई सानी नहीं रह जाता।

  7. प्राक्य साधना: इस साधना में सफल होने के बाद साधक अपने शिष्य को यह आज्ञा दे सकता है कि किसी विशिष्ट महिला की गर्भ से जन्म ले। या फिर इस साधना के बल पर योगी अपने शिष्य को संतानहीन महिला की गर्भ से जन्म लेने के लिए निर्देशित कर सकता है।

  8. सूर्य विज्ञान: भारत की प्राचीन और बेहद महत्वपूर्ण विद्याओं में से एक सूर्य विज्ञान पर सिर्फ और सिर्फ भारतीय योगियों का ही आधिपत्य है। इसकी सहायता से सूर्य की किरणों की सहायता से कोई भी तत्व किसी अन्य तत्व में तब्दील किया जा सकता है।

  9. मृत संजीवनी विद्या: इस विद्या की रचना असुरों के गुरु शुक्राचार्य द्वारा की गई थी। इस विद्या को प्राप्त करने के बाद किसी भी मृत व्यक्ति को दोबारा जीवित किया जा सकता है।

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं, धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. अगर आप को किसी जानकारी में किसी प्रकार की त्रुटि नजर आती है तो कृपया हमे अवश्य बताये ताकि हम अपनी गलती का सुधार कर सके।

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