हनुमान जी का गायत्री मंत्र

हनुमान जी का गायत्री मंत्र


सभी हिन्दू धार्मिक धर्म ग्रंथो में गायत्री मंत्र की महिमा का वर्णन किया गया है। गायत्री मंत्र में ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिगुण स्वामी का सार है। गीता में भगवान् कृष्ण ने स्वयं कहा है ‘गायत्री छन्दसामहम्’ अर्थात् गायत्री मंत्र मैं स्वयं ही हूं। विभिन्न देवी- देवताओं के लिये गायत्री मन्त्र की रचना की गयी है। आज हम आपको हनुमान जी के गायत्री मंत्र के बारे में बताते है। 

हनुमान जी का मूल मंत्र 

ॐ श्री हनुमते नमः॥

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हनुमान जी का गायत्री मंत्र 

ॐ आञ्जनेयाय विद्महे, वायुपुत्राय धीमहि।

तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्॥

ॐ वायुपुत्राय विद्महे, रामदूताय धीमहि

तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्॥

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