हनुमानजी मंत्र: हनुमानजी के साथ साथ रघुनाथ की कृपा भी मिलेगी!



अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।। 

सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ।।


अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत (सुमेरु) के समान कांतियुक्त शरीरवाले, दैत्यरूपी वन (को ध्वंस करने) के लिए अग्नि रूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, रघुनाथ के प्रिय भक्त पवनपुत्र हनुमान को मैं प्रणाम करता हूँ॥

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